Thursday 14 February 2013

अरमां



ये अरमां छलनी-छलनी से
ये अरमां टूटे-फूटे से
ये अरमां बासी-बासी से
ये अरमां रूठे-रूठे से
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अरमां गड्डे के पानी से
 अरमां कर्कश वाणी से
अरमां झुर्रीदार बहुत
अरमां बूढ़ी नानी से
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ये अरमां कड़वी बात कहें
पूनम को अमावस रात कहें
ये अरमां जब भी मुंह खोले
नीम, करेला ही बोलें
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ये अरमां जाहिल-जाहिल से
बिना राह की मंजिल से
ये अरमां काले-काले से
मुंह में ज्यों खूनी छाले से
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इन अरमानों को दफन करो
कोई तो इन पर कफन धरो
अरमानों पर उपकार करो
अरमानों का संहार करो

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