Wednesday 12 December 2012

तेरी कमी

सुबह रजाई में जब गर्मागर्म चाय का प्याला लेकर बैठती हूं 
पीती हूं पहला घूंट तब याद आता है, चीनी डालना भूल गई
फीकी चाय बेकार कर देती है सारा मजा 
खीझ सी होती है भुलक्कड़पन पर
ठीक वैसे ही है तेरी कमी
सब कुछ है फिर भी कुछ नहीं.....

No comments:

Post a Comment